शहीद भगत सिंह की जीवन कथा - Jai Hind

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Thursday, July 12, 2018

शहीद भगत सिंह की जीवन कथा

                               
                            शहीद भगत सिंह की जीवन कथा 
                     
भगत सिंह की जीवन कथा शुरू करने से पहले जान लेते है की आखिर भगत सिंह है कोन और उनका जन्म कहा हुआ और उनका हमारे देश के लिए क्या योगदान रहा

 भगत सिंह :- कही न कही हम उन बीर जवानो और उन महान पूरुसो को भूल गए है l जिन्होंने अपनी  वीरता का परिचे दे कर न तो  केबल इस भारत देश का बल्कि अपनी बहादुरी के बल से हमारे देश का साभिमान भी गर्व से ऊचा किया तो चलिए  है उन बहादुर वीर जवानो की सच्ची घटनाये जिन से हमारा देश आज सर्बोच्ता की उचाई पे है l 
शहीद भगत सिंह की जीवन कथा


                           शहीद भगत सिंह की जीवन कथा 
                                                   



                                          पूरा नाम  – सरदार भगतसिंग किशंसिंग   
                                 जन्म       – २८ सितंबर १९०७
                               जन्मस्थान – बंगा (जि. लायलपुर, अभी पाकिस्तान मे)
                                 पिता       – किशनसिंग
                                 माता       – विद्यावती
                                शिक्षा      – १९२३ में इंटरमिजिएट परिक्षा उत्तीर्ण।
                               विवाह     – विवाह नही किया।

         “सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में ह 

भगत सिंह उर्फ़ शहीद भगत सिंह  एक भारतीय समाजबादी थे जिनहो ने अपना पूरा जीबन देश की सेबा मैं लगा  दिया वो एक  भारतीय स्वतंत्रता अभियान के एक प्रभावशाली क्रांतिकारी माने जाते है। जिनका जन्म पंजाब के सीख परिवार में हुआ जो हमेशा से ब्रिटिश राज के विरुद्ध लड़ने के लिए तयार था। उन्होंने अपने युवा दिनों में यूरोपियन क्रांतिकारियों से अभ्यास भी ले रखा था और अराजकतावादी और मार्क्सवादी विचार धाराओ से प्रभावित थे।


उन्होंने अपने जीवन काल में कई क्रन्तिकारी संस्थाओ के साथ मिलकर काम किया जिसमे हिंदुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन भी शामिल है, जिसने 1928 में अपना नाम बदलकर हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिक एसोसिएशन रखा।
Bhagat Singh (संधू जाट) का जन्म 1907 में किशन सिंह और विद्यावती को चाल नंबर 105, जीबी, बंगा ग्राम, जरंवाला तहसील, ल्याल्लापुर जिला, पंजाब में हुआ, जो ब्रिटिश कालीन भारत का ही एक प्रान्त था।
उनका जन्म उसी समय हुआ था जब उनके पिता और उनके दो चाचा को जेल से रिहा किया गया था। उनके परिवार के सदस्य सीख थे, जिनमे से कुछ भारतीय स्वतंत्रता अभियान में सक्रीय रूप से शामिल थे, और बाकी महाराजा रणजीत सिंह की सेना की सेवा किया करते थे।
भगत सिंह के पूर्वजो का ग्राम खटकर कलां था, जो नवाशहर, पंजाब (अभी इसका नाम बदलकर शहीद भगत सिंह नगर रखा गया है) से कुछ ही दुरी पर था।
उनका परिवार राजनितिक रूप से सक्रीय था। उनके दादा अर्जुन सिंह, हिंदु आर्य समाज की पुनर्निर्मिति के अभियान में दयानंद सरस्वती के अनुयायी थे। इसका भगत सिंह पर बहोत प्रभाव पड़ा।
भगत सिंह के पिता और चाचा करतार सिंह और हर दयाल सिंह द्वारा चलाई जा रही ग़दर पार्टी के भी सदस्य थे। अरजित सिंह पर बहोत सारे क़ानूनी मुक़दमे होने के कारण उन्हें निर्वासित किया गया जबकि स्वरण सिंह की 1910 में लाहौर में ही जेल से रिहा होने बाद मृत्यु हो गयी।
भगत सिंह उनकी आयु में दुसरे सिक्खों की तरह लाहौर की खालसा हाई स्कूल में नहीं गये थे। क्यू की भगत सिंह के दादा उन्हें ब्रिटिश सरकार की शिक्षा नहीं देना चाहते थे। जहा बाद में उन्हें दयानंद वैदिक हाई स्कूल में डाला गया जो आर्य समाज की ही एक संस्था थी।
1919 में, जब वे केवल 12 साल के थे, भगत सिंह जलियांवाला बाग़ में हजारो निःशस्त्र लोगो को मारा गया। जब वे 14 साल के थे वे उन लोगो में से थे जो अपनी रक्षा के लिए या देश की रक्षा के लिए ब्रिटिशो को मारते थे।
भगत सिंह ने कभी महात्मा गांधी के अहिंसा के तत्व को नहीं अपनाया, उनका यही मानना था की स्वतंत्रता पाने के लिए हिंसक बनना बहोत जरुरी है। वे हमेशा से गांधीजी के अहिंसा के अभियान का विरोध करते थे, क्यू की उनके अनुसार 1922 के चौरी चौरा कांड में मारे गये ग्रामीण लोगो के पीछे का कारण अहिंसक होना ही था।
तभी से भगत सिंह ने कुछ युवायो के साथ मिलकर क्रान्तिकारी अभियान की शुरुवात की जिसका मुख्य उद्देश हिसक रूप से ब्रिटिश राज को खत्म करना था।
1923 में, भगत सिंह लाहौर के नेशनल कॉलेज में शामिल हुए, जहा उन्होंने दूसरी गतिविधियों में भी सहभाग लिया जैसे ही नाटकीय समाज (ढोंगी समाज) में सहभाग लेना।
1923 में, पंजाब Hindi साहित्य सम्मलेन द्वारा आयोजित निबंध स्पर्धा जीती, जिसमे उन्होंने पंजाब की समस्याओ के बारे में लिखा था। वे इटली के Giuseppe Mazzini अभियान से बहोत प्रेरित हुए थे और इसी को देखते हुए भगत सिंह ने मार्च 1926 में नौजवान भारत सभा में भारतीय राष्ट्रिय युवा संस्था की स्थापना की।
बाद में भगत सिंह हिन्दुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन में शामिल हुए, जिसमे कई बहादुर नेता थे जैसे चंद्रशेखर आज़ाद, राम प्रसाद बिस्मिल और शहीद अश्फल्लाह खान।
भगत सिंह कहते है की,
“मेरा जीवन किसी श्रेष्ट अभियान को पूरा करने के लिए हुआ है, और यह अभियान देश को आज़ादी दिलाना ही है। और इस समय कोई भी व्यक्ति कोई भी प्रलोभन मुझे मेरे लक्ष्य प्राप्ति से नहीं रोक सकता।”
युवाओं पर भगत सिंह के इस प्रभाव को देखते हुए पुलिस ने मई 1927 में भगत सिंह को अपनी हिरासत में लिया ये कहकर की वे अक्टूबर 1926 में हुए लाहौर बम धमाके में शामिल थे। और हिरासत में लेने के पाच हफ्तों बाद उन्हें जमानत पर रिहा किया गया।
भगत सिंह अमृतसर में बिकने वाले उर्दू और पंजाबी अखबारों के लिए लिखते भी थे और उसके संपादक भी थे। और इन्ही अखबारों को नौजवान भारत सभा में प्रकाशित किया जाता जिसमे ब्रिटिशो की खाल खीच रखी थी।
वे कीर्ति किसान पार्टी के अखबार कीर्ति के लिए भी लिखते थे साथ ही दिल्ली में प्रकाशित होने वाले वीर अर्जुन अखबार के लिए भी लिखते थे। अपने लेख में ज्यादातर बलवंत, रणजीत और विद्रोही नाम का उपयोग करते थे।
भगत सिंह लाला लाजपत राय की मृत्यु का बदला लेना चाहते थे जिसमे भगत सिंह ने एक ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जॉन सौन्देर्स की हत्या की। पुलिस ने भगत सिंह को पकड़ने के लिए कई असफल प्रयत्न किये और हमेशा वह भगत सिंह को पकड़ने में नाकाम रही। और कुछ समय बाद ही भगत सिंह ने बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलकर प्रधान विधि सदन पर दो बम और एक पत्र फेका।
जहा वे दोनों अपनी योजना के अनुसार पकडे गये। जहा एक हत्या के आरोप में उन्हें जेल में भेजा गया, और जब भगत सिंह ने यूरोपियन कैदियों को समान हक्क दिलाने के लिए 116 दिन के उपवास की घोषणा की तब दूर दूर से उन्हें पुरे राष्ट्र की सहायता मिली।
इस कालावधि में ब्रिटिश अफसरों ने उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत जमा किये और इंग्लैंड उच्च न्यायालय में अपनी अपील को रखते हुए, भगत सिंह को 23 साल की अल्पायु में फ़ासी की सजा दी गयी।
भगत सिंह के इस बलिदान ने भारतीय युवाओ को राष्ट्र की स्वतंत्रता के लिए उठकर लड़ने के लिए प्रेरित किया। भारतीय सिनेमा की कई फिल्मो में भगत सिंह को युवायो का प्रेरणास्थान भी माना गया। और आज भी कई युवा उन्हें अपना आदर्श मानते है।
Bhagat Singh में बचपन से ही देशसेवा की प्रेरणा थी। उन्होंने हमेशा ब्रिटिश राज का विरोध किया। और जो उम्र खेलने-कूदने की होती है उस उम्र में उन्होंने एक क्रांतिकारी आन्दोलन किया था। भगत सिंह की बहादुरी के कई किस्से हमें इतिहास में देखने मिलेंगे।
वे खुद तो बहादुर थे ही लेकिन उन्होंने अपने साथियों को भी बहादुर बनाया था और ब्रिटिशो को अल्पायु में भी धुल चटाई थी। वे भारतीय युवायो के आदर्श है और आज के युवायो को भी उन्ही की तरह स्फुर्तिला बनने की कोशिश करनी चाहिये।

एक नजर शहीद भगत सिंह की जीवन कथा – Bhagat Singh History In Hindi

1) १९२४ में भगतसिंग / Bhagat Singh कानपूर गये। वह पहलीबार अखबार बेचकर उन्हें अपना घर चलाना पडा। बाद में एक क्रांतिकारी गणेश शंकर विद्यार्थी इनके संपर्क में वो आये। उनके ‘प्रताप’ अखबार के कार्यालय में भगतसिंग को जगा मिली।
2) १९२५ में भगतसिंग / Bhagat Singh और उनके साथी दोस्तों ने नवजवान भारत सभा की स्थापना की।
3) दशहरे को निकाली झाकी ने कुछ बदमाश लोगोने बॉम्ब डाला था। इस के कारण कुछ लोगोकी मौत हुयी। इस के पीछे क्रांतिकारीयोका हात होंगा, ऐसा पुलिस को शक था। उसके लिये भगतसिंग को पड़कर उनको जेल भेजा गया पर न्यायालय से वो बेकसूर छुट कर आये।
4) ‘हिंदुस्तान रिपब्लिकन असोसिएन’ इस क्रांतिकारी संघटने के भगतसिंग सक्रीय कार्यकर्ता हुये।
5) ‘किर्ती’ और ‘अकाली’ नाम के अखबारों के लिये भगतसिंग लेख लिखने लगे।
6) समाजवादी विचारों से प्रभावित हुये युवकोंने देशव्यापी क्रांतिकारी संघटना खडी करने का निर्णय लिया। चंद्रशेखर आझाद, भगतसिंग, सुखदेव आदी। युवक इस मुख्य थे। ये सभी क्रांतिकारी धर्मनिरपेक्ष विचारों के थे।
7) १९२८ में दिल्ली के फिरोजशहा कोटला मैदान पर हुयी बैठक में इन युवकोने ‘हिन्दुस्थान सोशॅलिस्ट रिपब्लिकन असोसिएशन’ इस संघटने की स्थापना की भारत को ब्रिटीशोके शोषण से आझाद करना ये उस संघटना का उददेश था।
उसके साथ ही किसान – कामगार का शोषण करने वाली अन्यायी सामाजिक – आर्थिक व्यवस्था को भी बदलना था। संघटने के नाम में ‘सोशॅलिस्ट’ इस शब्द का अंतर्भाव करने की सुचना भगतसिंग ने रखी और वो सभी ने मंजूर की।
शस्त्र इकठ्ठा करना और कार्यक्रमों की प्रवर्तन करना ये कम इस स्वतंत्र विभाग के तरफ सौपी गयी। इस विभाग का नाम ‘हिंदुस्तान सोशॅलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी’ था और उसके मुख्य थे चंद्रशेखर आझाद।
8) १९२७ में भारत में कुछ सुधारना देने के उद्दश से ब्रिटिश सरकार ने ‘सायमन कमीशन’ की नियुक्ति की पर सायमन कमीशन में सातो सदस्य ये अंग्रेज थे। उसमे एक भी भारतीय नही था। इसलिये भारतीय रास्ट्रीय कॉग्रेस ने सायमन कमीशन पर ‘बहिष्कार’ डालने का निर्णय लिया।
उसके अनुसार जब सायमन कमीशन लाहोर आया तब पंजाब केसरी लाला लजपतराय इनके नेतृत्त्व में निषेध के लिये बड़ा मोर्चा निकाला था। पुलिस के निर्दयता से किये हुये लाठीचार्ज में लाला लजपत राय घायल हुये और दो सप्ताह बाद अस्पताल में उनकी मौत हुयी।
9) लालाजि के मौत के बाद देश में सभी तरफ लोग क्रोधित हुये। ‘हिंदुस्तान रिपब्लिकन असोसिएशन ने तो लालाजी की हत्या का बदला लेने का निर्णय लिया। लालाजी के मौत के जिम्मेदार स्कॉट इस अधिकारी को मरने की योजना बनायीं गयी। इस काम के लिए भगतसिंग, चंद्रशेखर आझाद, राजगुरु, जयगोपाल इनको चुना गया।
उन्होंने १७ दिसंबर १९२८ को स्कॉट को मरने की तैयारी की लेकिन इस प्रयास में स्कॉट के अलावा सँडर्स ये दूसरा अंग्रेज अधिकारी मारा गया। इस घटना के बाद भगतसिंग / Bhagat Singh भेष बदलके कोलकता को गये। उस जगह उनकी जतिंद्रनाथ दास से पहचान हुई उनको बॉम्ब बनाने की कला आती थी। भगतसिंग और जतिंद्रनाथ इन्होंने बम बनाने की फैक्टरी आग्रा में शुरु किया।
10) उसके बाद भगतसिंग / Bhagat Singh और उनके सहयोगी इनके उपर सरकार ने अलग – अलग आरोप लगाये। पहला आरोप उनके उपर  कानून बोर्ड के हॉल में बम डालने का था। इस आरोप में भगतसिंग और बटुकेश्वर दत्त इन दोनों को आजन्म कारावास की सजा हुयी। लेकिन सँडर्स के खून के आरोप में भगतसिंग, सुखदेव और राजगुरु इन्हें दोषी करार करके फासी की सजा सुनाई गयी।
पढ़े: Quote By Bhagat Singh
Bhagat Singh Death / मृत्यु   – २३ मार्च १९३१ को भगतसिंग, सुखदेव और राजगुरु इन तीनो को महान क्रांतिकारीयोको फासी दी गयी। ‘इन्कलाब जिंदाबाद’, ‘भारत माता की जय’ की घोषणा देते हुये उन्होंने हसते-हसते मौत को गले लगाया।
Bhagat Singh Slogans & Quotes:
“सीने पर जो जख्म हैं, सब फूलो के गुच्छे हैं। हमें पागल ही रहने डॉ हम पागल ही अच्छे हैं।”
“मैं एक मानव हू और जो कुछ भी मानवता को प्रभावित करता हैं उससे मुझे मतलब हैं !”
“जिंदगी अपने दम पर जी जाती हैं, दूसरो के कंधो पर तो जनाजे निकलते हैं।”
“सरे जहा से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा।”
Note: हमने एक छोटी सी पहल की है की आपको सहीद भगत सिंह की जीवन कथा बता सके अगर मेरी छोटी सी कोसिस आपको अच्छी लगी तो like and shere kardiye 
    धन्यवाद 

                                       

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