जानिए कैसे एक गरीब बार्बर बना करोड़पति?। Ramesh Babu Barbar Story
हम हमेसा से ही सुनते और टीवी फिल्मो मैं देखते आये है की कैसे एक फ़िल्मी हीरो अपनी फिल्म मेहनत से अमीर बन जाता है लकिन कभी आपने ये स्टोरी रियल मैं सूनी है नहीं सूनी न आज आपको एक ऐसे स्टोरी से रुबरुह करबाने जारहे है जो आपने सायेद पहले कभी नहीं सूनी होंगी। इस तरह की कहानी हमेशा एक प्रेरणा का स्रोत बनते है उन्ही हीरो मैं से एक है रमेश बाबू
हम हमेसा से ही सुनते और टीवी फिल्मो मैं देखते आये है की कैसे एक फ़िल्मी हीरो अपनी फिल्म मेहनत से अमीर बन जाता है लकिन कभी आपने ये स्टोरी रियल मैं सूनी है नहीं सूनी न आज आपको एक ऐसे स्टोरी से रुबरुह करबाने जारहे है जो आपने सायेद पहले कभी नहीं सूनी होंगी। इस तरह की कहानी हमेशा एक प्रेरणा का स्रोत बनते है उन्ही हीरो मैं से एक है रमेश बाबू
रमेश बाबु, एक नाई है जिन्होंने रोल्स रॉयस खरीदी थी। रमेश बाबु एक ऐसे नाई है जो करोडपति बने। एक नाई की ही तरह उन्होंने अपनी किस्मत को भी आकार दिया।
जानिए कैसे एक गरीब बार्बर बना करोड़पति?। Ramesh Babu Barbar Story
रमेश बाबू बेंगलुरू सन 1979 को पैदा हुए और और उन्होने बचपन मैं ही अपने पिता को खो दिया, और पिता की मृत्यु के बाढ़ मनो इनके परिवार पे जैसे संकटो का पहाड़ ही उमर परा हो उनका परिवार संघर्ष और गरीबी में फंस गया। "उनके पता की के स्वर्ग बास होने के बाद ब्रिगेड रोड में एक सैलून था जिसका सारा जिमा उनके चाचा ने इसका ख्याल रखा और उनको हर दिन ₹ 5 का भुगतान किया, "वो दिन आज भी याद करते हैं। उन शुरुआती सालों में आसान नहीं था, उनका इस मुकाम तक पहुंचना क्योंकि रमेश, उनकी मां, दादी और भाई बहनों ने भोजन और कपड़ों जैसे बुनियादी आवश्यक कार्यों के लिए संघर्ष किया था।
मेरी मां ने नौकरानी के रूप में नौकरी ली और संभवतः ₹ 40-50 प्रति माह अर्जित किया जो कि हमारी फीस, किताबें, कपड़े और सबकुछ सहित के लिए इस्तेमाल किया जाता था। " "हमें साल में एक बार नए कपड़े मिलते हैं और हमने बाकी स्कूलों की वर्दी और पुराने कपड़े के साथ काम किया। एक बार मुझे अपने पीटी शिक्षक द्वारा वापस भेजा गया क्योंकि मेरे पतलून फाड़े थे, लेकिन मैं एक नया खर्च नहीं कर सका। दोपहर में रोज़ाना केवल एक ही भोजन था जो मेरी मां को काम से मिला था। एक त्योहार के दौरान एक अच्छा भोजन प्राप्त करना हमारे सबसे सुखद क्षणों में से एक था। "
उन्होंने सैलून का पुनर्निर्माण करने के लिए पारिवारिक बचत का उपयोग किया और जगह चलाने के लिए दो श्रमिकों में रखा।
एक सुबह, जब रमेश बाबू अपने श्रमिकों की प्रतीक्षा कर रहा था, एक सज्जन आया और उनको बाल कटवाने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता था कि बाल कैसे कटौती करें लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि मैं कोशिश करता हूं, "वे कहते हैं। "तो उन्होंने उनके बालों को काट दिया, और शायद वह उसे पसंद आया और मानक उनको मूल्य दोगुना कर दिया। वह अभी भी मेरा ग्राहक है। "
चूंकि रमेश ने खुद को हेयर स्टाइलिंग शुरू कर दिया, तो कारोबार बढ़ने लगा और एक साल बाद, उसने अपनी प्रकृति प्राकृतिक प्रतिभा को बढ़ाने के लिए हेयर स्टाइलिंग पाठ्यक्रमों के लिए साइन अप करना शुरू कर दिया। "वे सिंगापुर गया और टोनी और गाय के साथ एक कोर्स किया।
रमेश ने थोड़े-थोड़े पैसो की बचत करते हुए ही 1994 में मारुती कार खरीदी थी। 2004 से, उन्होंने भाड़े से कार देने का व्यवसाय शुरू किया। शुरू में उनके पास कुल 7 कार थी।
2014 में, उनके पास कुल 200 कारे हो चुकी थी। इतना ही इसके साथ ही उनके पास 75 समृद्ध विशिष्ट कारो का भी समावेश है जिनमे मर्सिडीस, बी.ऍम.डब्लु., ऑडी, और साथ ही पाच और दस सिटर कारे शामिल है।
जोखिम उठाना :
जब उन्होंने सन 2004 में अपनी पहली समृद्ध और आरामदायक कार खरीदी, तब सभी ने उनसे यही कहा था की वो बहुत बड़ी गलती करने जा रहा है।
2004 में उन्हीने एक समृद्ध और आरामदायक कार के लिए 14 लाख रुपये दिए थे और ये उनके लिए उस समय बहुत ज्यादा थे उस समय के हिसाब से ये एक बहोत बड़ा सौदा था। उन्हें भी उस समय अपने आप पर पूरा भरोसा नही था लेकिन रमेश बाबु ने जोखिम उठाने की ठानी।
उन्होंने अपने आप से ही कहा की यदि मै असफल होता हु तो मै अपनी यह समृद्ध कार बेच दूंगा। लेकिन परिणामतः जोखिम उठाना उनके लिए सही साबित हुआ, इसका फायदा उन्हें भविष्य में हुआ।
उस समय कोई दूसरी भाड़े से कार देने वाली कंपनी नही थी जो समृद्ध और आरामदायक कारो को भाड़े से दे सके। उनमे से कुछ के पास समृद्ध और आरामदायक कारे जरुर थी लेकिन वे काफी पुरानी हो चुकी थी।
उस समय बंगलौर में वो पहले व्यक्ति थे जिसने नयी समृद्ध और आरामदायक कारो में निवेश किया था, और रमेश बाबु का यह फैसला उनके लिए सबसे ज्यादा सही साबित हुआ।
जानिए कैसे एक गरीब बार्बर बना करोड़पति?। Ramesh Babu Barbar Story
एक सफल व्यवसाय का निर्माण:
1994 से मै गंभीर रूप से कार भाड़े से देने के व्यवसाय में ध्यान देने लगा। मेरी पहली कंपनी जिससे मैंने भाड़े पर कारे ली थी वह इंटेल थी क्योकि उस समय नंदिनी अक्का वहा कार्यरत थी जिसमे मेरी सहायता की थी। और बाद में मैंने मेरे कारो के समूह में और ज्यादा कारे लाने की ठानी।
2004 तक, मेरे पास सिर्फ और सिर्फ 5 से 6 कारे ही थी। तभी मै नाई के व्यवसाय में भी ध्यान देने लगा, लेकिन मैंने कभी नाई के व्यवसाय को ज्यादा प्राथमिकता नही दी। मेरा नाई का व्यवसाय कुछ खास नही चल रहा था क्योकि उस समय प्रतियोगिता बहोत ज्यादा थी।
उस समय सभी के पास छोटी कारे थी। इसीलिए मैंने विशाल समृद्ध और आरामदायक कारे लेने की ठानी क्योकि इस तरह की कारे भारत में ज्यादा लोगो के पास नही थी
हेलो दोस्तों मुझे Ramesh Babu Barbar Story स्टोरी बनाने कभी समय लग गया इस कहानी से एक बात जरूर सीखना चाहिए चाहे आप कितनी भी मुश्किलों से घिरे क्यों न हो अगर आप मेहनत लगन से करते हो तो आप जिन्दगी मै वो सब कुछ हासील कर सकते हो जो आप चाहते हो अगर आपको ये स्टोरी अछि लगी जो प्लीज इसको लाइक and shere करना मत भूलना आपका दोस्त
रवि अरोड़ा।
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